7 महज दोसर कोठलीके महापबितर ठाममे परधान पुजारी मातरे बरिसके एकबेर जाइछेलै। उ लहु ल्याके मातरे जाइले पाबैछेलै। उ लहु आपन पापके लेल आ लोकसबके अन्जानमे करल पापके लेल उ चरहाइले जाइछेलै।
ओइसबके हिरदय कठोरताके कारन अन्हारसे झापलछै आ परमेस्वरके दैबला जिबनसे दुरछै।
महज उ बलीसब लोकसबके साले-साल आपन पापके सम्झना मातरे कराबैछै।
जनङ एकटा लङगर जहाजके अस्थिर राखैछै तहिनङ यि आसा अपनासबके सुरक्छीत आ अस्थिर राखैछै। उ आसा येसु चियै। उहे अपनासबके स्वरगिय मन्दिरके परदा भितर महापबितर ठाममे गेलै।
औरो परधान पुजारीसबके करल जखा उ पहिने आपन लेल तब औरोके पापके लेल दिन-दिने बली चरहाइते नै रहेपरतै, कथिलेकी उ एके बेरमे सबदिनके लेल आपने आपके बलीके रुपमे अरपन करल्कै।
परदा पछारी दोसर कोठलीके महापबितर ठाम कहैछै,