‘कथिलेत यि लोकसबके मन कठोर भ्यागेलछै आ ओइ लोकसबके कान बैहर भ्यागेल्छै, उसब आपन आँख मुइन लेने छै, नै त उसब आँखसे देखतियै, कानसे सुनतियै आ मनसे बुझतियै आ घुइमके हमरलग एतियै आ हम ओइसबके निक करतियै।’
कथिलेत यि लोकसबके मन कठोर छै, ओकरसबके कान बैहर भेल छै, तब उसब आपन-आपन आँख बन कैरलेने छै! नै त उसब देखतियै, सुनतियै आ मनसे बुझतियै, तब उसब मन फिराके हमर दिसन घुइमके एतियै आ हम ओकरासबके तन्दरुस्त बनाइतियै।”