3 महज उ बलीसब लोकसबके साले-साल आपन पापके सम्झना मातरे कराबैछै।
यि परमेस्वर आ लोकसबके बिचमे समबन्ध बनाबैबला हमर लहु चियै, जे बहुतो लोकसबके पापसे छमा पाबैके लेल बह्याल ज्यारहल छै।
तब ओकर चेलासबके धरमसास्तरमे लिखल यि बात याद एलै, “हे परमेस्वर! अहाँके घरके खातिर हमर जोस हमर मन भितर आइग जखा बरैछै।”
महज दोसर कोठलीके महापबितर ठाममे परधान पुजारी मातरे बरिसके एकबेर जाइछेलै। उ लहु ल्याके मातरे जाइले पाबैछेलै। उ लहु आपन पापके लेल आ लोकसबके अन्जानमे करल पापके लेल उ चरहाइले जाइछेलै।