तब उसब येसुके फसाइले पुछल्कै, “गुरु जी, हमसब जानैचियै, अहाँ सहि बात बोलैचियै, असल बात सिखाइचियै आ ककरो पक्छपात नै करैचियै, महज अहाँ त सत्यतासे परमेस्वरके रस्ता देखाइचियै।
हौ मालिकसब, तैहनङे कैरके अहुसब आपन नोकर-चाकरसबके असल बेबहार करु आ ओइसबके नै धम्काब कथिलेत अहाँसबके आ उसब दुनुके एकेटा मालिक स्वरगमे छै से बात नै बिसर। उ ककरो पक्छ ल्याके नियाय नै करैछै।
एहेन लोकसब सन्तोखिया नै हैछै, हरदम दोसरके गल्ती निकालैछै आ अपना सेहो नै निक इक्छासबमे चलैछै, अपनेके बरका सम्झैछै आ आपन काम बनाइले दोसरके चापलुसी करैछै।