20 परमपरभुके उ महान आ गौरबमय दिन आबैसे पहिने सुरुज अन्हार आ चान लहु जखा लाल हेतौ।
“जब बरका महासङकटके दिनसब बित्तै सुरुज अन्हार हेतै आ चान आपन चमक दैले छोरतै, अकासके तरासब खस्तै आ अकासके सक्तीसब थर-थर काप्तै।
दिनके बारह बजेसे तिन बजे तक पुरे देस अन्हारे रहलै।
जब बरका महासङकटके दिनसब बितलाकेबाद सुरुज अन्हार हेतै आ चान आपन चमक दैले छोरतै,
“चान, सुरुज आ तरासबमे चेन्हा देखा परतौ, समुन्दरके हुहुवाह आ बरका-बरका झोहसबके देखके सन्सारके लोकसबके डेराजेतै।
उपर अकासमे हम अच्चमके काम आ निचा पिरथिबीमे लहु, आइग आ धुवाँके रेतके चेन्हासब देखेबौ।
महज जे कोइ परमपरभुके नाम लेतै, से कोइ उदार पाबतै।’”
उ लोकके सैतानके हाथमे सोइप दहै, ताकि ओकर पापी स्वभाब नास हेबे आ परभुके नियाइके दिनमे ओकर आत्मा बाचे।
कथिलेकी परभुके आबैबला दिन त रातमे चोर एल जखा सुटुक्क दबर एतै कैहके तोरासबके एकदमसे थाहे छौ।
महज परभुके नियाय करैबला दिन चोर एल जखा अनचेकेमे एतै। ओइ दिन सब अकास-मन्डल बरका अबाज कैरके बिलाजेतै, सुरुज, चान आ तरासब जैरके भस्म हेतै। पिरथिबी आ ओइमे भेल सब चिज नास हेतै।
महज ओह्या बचनसे नियाय हैबला दिनतकके लेल अकास आ पिरथिबीके आइगसे नास करैके लेल बचाके राखनेछै। अकरा वहे दिनके लेल राखनेछै जहिया अधरमी लोकसबके नियाय हेतै आ ओकरासबके नास करलजेतै।
तब चारम स्वरगदुत आपन बाटी ल्याके सुरुज उपर झाइक देल्कै आ लोकसबके रौदसे डहाबैके सक्ती सुरुजके देल्कै।
जब थुमा छठमा लाहटके तोरल्कै, तब हम बरका भुमकौन गेल देखलियै। सुरुज अन्हार रात जखा करिया भेलै आ चान लहु जखा पुरे लाल भेलै।