22 रजा हेरोदके भासन सुइनके लोकसब जोर-जोरसे कहेलाग्लै, “यि त लोक नै, देबते बाइजरहल छै।”
तब तोकलहा दिनमे रजा हेरोद राजकिय बस्तर पिन्हके आपन सिंहासनमे बैठलै आ भासन देल्कै।
महज परमेस्वरके परसन्सा नै करैके कारन तखुन्ते परभुके एकटा स्वरगदुत ओकरा फटसे मारल्कै आ ओकर देहमे खसर-खसर पिलुवा फैरके मरगेलै।
एहेन लोकसब सन्तोखिया नै हैछै, हरदम दोसरके गल्ती निकालैछै आ अपना सेहो नै निक इक्छासबमे चलैछै, अपनेके बरका सम्झैछै आ आपन काम बनाइले दोसरके चापलुसी करैछै।
लोकसब उ अजेगरके पुजा करैछेलै कथिलेत अजेगर आपन अधिकार जानबरके देनेछेलै। लोकसब उ जानबरके सेहो जयजयकार करैत अनङ कहल्कै, “ओइ जानबर जखा औरो के छै से? ओकरसङे लराइ करे सकैबला के छै से?”