2 हमसब अइ सन्सारमे रहैतकाल बेचैन रहैचियै आ अपनासबके स्वरगिय देह बस्तर लखा लगाइले उतकट इक्छा करैचियै।
हम केहन दुखी लोक चियै! पाप आ मिरतुके कैदमे रहल देहके हमरा के छुटकरा करेतै?
सिरिस्टी करल चिज मातरे नै, अपनोसब भितरे भितर दुखसे कुहरैचियै। अपनासब परमेस्वरके परतिग्याके रुपमे पबितर आत्मा पाबनेचियै। ओहैसे अपनोसबके कहिया पुरा हकबला ओकर सन्तान बनेतै आ सब खराब बातसे अपनासबके देहके छुटकरा देतै कैहके असियाल चियै।
सुन! हम तोरासबके एकटा रहसके बात कहैचियौ, अपनासब कोइ नै मरबिही, महज सबकोइ परिबरतन हेतै।
हम त दोधारमे परल चियै। बरु अइ सन्सारसे बिदा भ्याके खिरिस्टसङे रहैके हमर बरका इक्छाछै, कथिलेकी यि एकदम असल बात चियै।