अन्तमे, भाइ-भैयासब, जे बात सत छै, जे बात असल छै, जे बात नियाय संगत छै, जे बात पबितर छै, जे बात परेम योग्य छै, जे बात किरपाके योग्य छै, अरथात जे आदरके योग्य छै आ परसन्साके योग्य छै तैमे मन लगा।
उ लोक धैनके चियै, जे आपत-बिपतमे अस्थिर रहैछै, कथिलेकी जाँचके सामना करलाके बाद उ जिबनके मुकुट पाबतै, जे परमेस्वरके परेम करैबलासबके परमेस्वर दैले परतिग्या करने छै।