जे असली रुप परकट हैछै उ इजोत चियै। पबितर धरमसास्तरमे अनङ लिखलछै, “हे बिभोर निनमे परल लोकसब जाग आ आपन पापके कारनसे मरल नै रह, जिबित हो। तब खिरिस्टके इजोत तोरासबमे चमकतौ।”
यि अनुगरहसे अपनासबके परमेस्वरके आदर नै हैबला काम आ सन्सारके लोभ-लालच त्यागैले लगाइछै आ धिरजसे अपने आपके बसमे राखैले, निरदोस हैले आ परमेस्वरके आदर हैबला जिबन जियैले सिखाइछै।
“देख, हम चोर जखा अनचेकेमे एबौ। उ लोक धैनके चियै, जे जागल रहैछै आ आपन बस्तरके जोग्याके राखैछै। उ लोकके नाङटे चले नै परतै आ लोकसबके बिचमे लाजमे नै परतै!”