कथिलेत साँचे हम तोरासबके कहैचियौ, जबतक स्वरग आ पिरथिबी खतम नै हेतै तबतक बेबस्थामे लिखल बात बिना पुरा भेने छोटसे छोट बुन्का ओकर एकोटा आछर तक नै बुताइतौ।
तब बचन लोक बैनके अपनासबके बिचमे बास करल्कै आ अपनासब ओकर महिमा देखलियै, जे महिमा परमेस्वरसे आबैबला एक मातरे बेटामे छेलै। उ आपनौरके पुरा रुपसे अनुगरह करैछै आ सत बात मातरे बोलैछै।