37 महज उ लोक बियाह नै करबै कैहके मनमे पका करने छै आ जबरजस्तीमे नै परलछै, महज आपन मन बसमे राखैले सकैछै त, उ लोक बियाह नै करैले चाहैछै त निके करैछै।
आब हम तोरासबके लिखल चिठीमे, “लोक बियाह नै करनाइ असल चियै” पुछलहा बातके बारेमे कहैचियौ।
यदि कोनो लोकके मङनी भेल छौ आ उ लोक आपन मङनी भेल छौरीके निक बेबहार नै करल लागैछै आ उ छौरीके उमेर बितेलागलछै त उसब बियाह करे। अइमे कोनो पाप नै लागैछै।
यदि उ लोक आपन मङनी भेल छौरीसे बियाह करैछै त असले करैछै महज बियाह नै करैछै त उ औरो निक करैछै।
ओहैसे हरेक लोक आपन मनमे सङकल्प करल बमौजी देबे। मन दुख्याके यात करकापसे नै दहै, कथिलेकी खुसिसे दैबलाके परमेस्वर परेम करैछै।
तोरासबके जिम्मामे देल परमेस्वरके भेरासबके देखभाल कर। यि काम करकापमे पैरके नै महज खुसिसे परमेस्वरके इक्छा बमोजिम आ कोनो पैसा-कौरीके लोभसे नै महज सेबाके मन ल्याके कर।