20 कथिलेत परमेस्वर तोरासबके मोल तिरके किन्ने छौ। तैखातिर तुसब आपन देहमे परमेस्वरके महिमा कर।
अहिनङ तोरोसबके इजोत लोकसबके बिचमे चम्के, जहिनङ लोकसब तोरासबके असल काम देखके, स्वरगमे रहैबला पिताके परसन्सा करे।”
तैल्याके तोरासबके आपनो आ आपन पुरे जेरके रेखदेख करैतरह। पबितर आत्मा तोरासबके ओइसबके चरबाहा बनाइनेछौ कि तोरासबके परमेस्वरके मन्डलीके रेखदेख कर, जकरा परमेस्वर आपन बेटाके लहुसे किन्नेछै।
तैल्याके हे भाइ-भैयासब, परमेस्वरके दयाके धियानमे राइखके हम तोरासबके बिन्ती करैचियौ, तुसब आत्मिक आराधनाके रुपमे आपन-आपन देहके पबितर आ परमेस्वरके मनपरैबला जिबित बलीके रुपमे चरहा। ओकर आराधना करैबला सहि तरिका एह्या चियै।
तोरासबके मानबिय स्वभाबके कमजोरीके कारनसे हम तोरासबके बुझैबला हिसाबसे मालिक आ दासके उदाहरन देके कहैचियौ। एक समयमे खराब इक्छासे बहुत घिनलागैबला पाप आ दुस्ट काम करैले तुसब आपन जिबनके दास जखा सोपने छेल्ही। आब पबितर हैले तोरासबके जिबन परमेस्वरके लेल असल काम करैबला दास जखा सोप।
तैखातिर तुसब खो, पि या जेकुछ कर, सबकुछ परमेस्वरके महिमाके लेल कर।
परमेस्वर तोरासबके मोल तिरके किन्नेछौ, तैखातिर लोकसबके दास नै बन।
खिरिस्ट अपनासबके खातिर सरापित भ्याके अपनासबके बेबस्थाके सरापसे मोल तिरके छुटकरा देल्कै, कथिलेत पबितर धरमसास्तरमे एहेन लिखल छै, “काठमे लटक्याल लोक सरापित हैछै।”
हमर उटकट इक्छा आ आसा यि चियै कि हम कहियो लज्जित नै हेबै महज हमरमे परसस्त साहस हेतै। चाहे हम बाच्बै या मरबै सबदिन जखा अखुनो हमर जिबनसे खिरिस्ट सम्मानित हेबे।
खिरिस्ट सिधा महापबितर ठाममे सबदिनके लेल एकेबेर ढुकलै। उ छागर आ बछासबके चरहाल बलीके लहु ल्याके नै ढुकलै, महज आपने लहु ल्याके ढुकलै आ अपनासबके सबदिन रहैबला मुक्ती देल्कै।
तुसब जानैचिही कि परमेस्वर तोरासबके पिता-पुरखासे चलैत एल बेरथके चालचलनसे दाम तिरके तोरासबके छुटकरा देल्कौ। उ दाम सोना या चानी जखा नास हैबला चिज नै चियै।
महज तुसब त परमेस्वरके छानल जन, राजकिय पुजारी, पबितर जाती, निजी परजा चिही। उ तोरासबके अन्हारसे ओकर अचमके इजोतमे आनल्कौ, ताकी तुसब ओकर आस्चरजके कामसबके घोसना करैले सक।
जहिनङे इजराएलीसबके बिचमे झुठा अगमबक्तासब छेलै, तहिनङे तोरोसबके बिचमे झुठा गुरुसब देखा परतौ। उसब गुपचुपेमे नास हैबला झुठा बातसब सिखाइतौ आ मुक्ती दैबला परभुके सेहो उसब इन्कार कैरके आपन उपर जल्दिए नास लाबतै।
उसब अनङ कहैत एकटा लया गित गाबल्कै, “यि कागतके मुठा लैले आ अकर लाहटके तोरेके योग्य अहाँ मातरे चियै, अहाँ मारल गेलियै आ आपन लहुसे अहाँ परमेस्वरके लेल सब कुल, भसा, जाती आ देसके लोकसबके छुटकरा देलियै।