रस्ताके कातमे एकटा अन्जिरके गाछ देखल्कै आ उ लगमे गेलै महज ओइ गाछमे पता बाहेक औरो कुछो नै भेटलै। तब येसु उ गाछके कहल्कै, “आबसे तोरामे कहियो फल नै फरे।” तखुन्ते उ गाछ सुइखगेलै।
“तोहे धरमगुरुसबके आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! कथिलेत तुसब स्वरगके राजके केबार खोलैबला कुजी त लेल्ही, महज नै अपने ढुकलिही नै दोसरके ढुकैले देल्ही।
हे हमर पिरिय भाइ-भैयासब, हम तोरासबके यि बात कहैले चाहैचियौ, कि मासु आ लहुसे बनल अपनासबके देह परमेस्वरके राजके हकदार हैले नै सक्तै। तहिनङे नास हैबला देह कहियो नास नै हैबला देहके हकदार हैले नै सक्तै।