19 कथिलेत परमेस्वरके अगा सन्सारके बुइध त मुरुख बात चियै। जनङ पबितर धरमसास्तरमे लिखल छै, “उ बुधिमानसबके ओइसबके चतुराइमे पकरैछै।”
तैयो परिपक भेल बिस्बासीसबके बिचमे अपनासब ग्यान-गुनके बात करैचियै, महज अइ जुगके ग्यान या अइ जुगके सासकसबके ग्यान नै, जे बितके जेतै।
हे हमर भाइ-भैयासब, तोरासबके भलाइके लेल हम आपने आ अपोल्लोसके उदाहरन द्याके यि सब बातसब लिख्नेचियौ, ताकि तुसब पबितर धरमसास्तर अनुसार जियैले सिख आ तुसब एक गोरेके पक्छ ल्याके दोसरके बिरोध कैरके घमन्डी नै हो।
तब अपनासब चलाक लोकसबके झुठा सिक्छाके हबासे जने ल्याजेतौ तने जाइबला छोट धिया-पुता जखा नै हो। ओइसबके बन्याल जाल झेलसे दोसरके बहकाइछै।
एहेन बुइध स्वरगसे नै आबैछै, महज यि त सन्सारसे, लोकके आपन चाहनासे आ सैतानसे आबैछै।