27 कोइ आन भसा बाजैछै त दुइ गोरा या बेसिमे तिन गोरा एक-एक कैरके बाजे आ एक गोरा ओकर अरथ खोइलदेबे।
ओह्या पबितर आत्मा ककरो अचमके काम करैबला, ककरो अगमबानी बोलैबला, ककरो आत्मासब छुटयाबैबला, ककरो बहौत किसिमके भसासब बोलैबला आ ककरो भसासबके अरथ खोलैबला बरदान दैछै।
तैखातिर जे आन भसामे बोलैछै, तकर अरथ बताबैके बरदानके लेल उ परथना करे।
कथिलेत जे आन भसामे बोलैछै उ लोकसबसङे नै, महज परमेस्वरसङे बोलैछै। उ कथी बोलैछै से कोइने बुझैछै, उ त पबितर आत्मासे रहसके बातसब बोलैछै।
हे हमर भाइ-भैयासब, आब हम कथी कहबौ? तुसब एकसाथ जम्मा हैचिही त कोइ भजन गाबैछै, कोइ सिक्छा दैछै, कोइ परमेस्वरसे परगट भेल बात कहैछै, कोइ आन भसा बोलैछै आ कोइ आन भसाके अरथ खोइलदैछै। यि सब बातसबसे मन्डलीके आत्मिक तवरसे बिरधी कराबैछै।
महज ओते अरथ खोलदैबला कोइ नै छै त आन भसा बोलैबला लोक मन्डलीमे चुप रहे, उ आपनेसङे आ परमेस्वरसङे बोले।
तु सबकोइ आन भसा बोल कैहके हम चाहैचियौ, महज ओकरसे बेसि तुसब अगमबानी बोल कैहके हम चाहैचियौ। कथिलेत आन भसामे बोलेसे त बरु अगमबानी बोलनाइ बरका चियै। आन भसाके अरथ खोइल दैबला लोक रहतै तब मातरे मन्डलीके बिस्बासीसबके आत्मिक तवरमे बलगर बनाइतै।