23 जब मन्डलीमे सबलोक जम्मा भ्याके आन भसा बोल्तै तब मन्डली बाहरके या बिस्बास नै करैबला लोकसब ओते एतौ त, कि उसब तोरासबके पागल भेलचिही कैहके नै कहतौ?
मालिक ओकर नै सोचलहा दिन आ घरी एतै, ओकरा करा सजाय देतै आ ओकर दसा परमेस्वरमे बिस्बास नै करैबलासब जखा हेतै।
ओइसबमेसे बहुतो गोरा कहेलाग्लै, “अकरा त भुत लागल छै आ बताह भेलछै। तुसब कथिले अकर बात सुनैचिही?”
महज औरोसब हँसीमे उराइत कहल्कै, “यीसब त लबका अङगुरके मध पिके मातल छै।”
पावल यि बातसब आपन बचाउके लेल कहैत खिना फेस्तस जोरसे कहल्कै, “ऐ, पावल तुहे पागल भ्यागेल चिही! तोहर बहुत ग्यान तोरा पागल बन्यादेनेछौ।”
पहिल्का बात यि चियै कि जब तुसब मन्डलीमे एकसाथ भेला हैचिही, तोरासबके बिचमे बेमेल हैछौ कैहके हम सुन्ने चियौ। तै बातमे हम कुछ बिस्बासो करैचियौ।