17 परमेस्वरके तु निकसे धन्यबाद देब्ही, महज ओइसे दोसर लोकके आत्मिक बिरधी नै करैछै।
तैल्याके अपनासब उ बातसबके अनुसरन कर जे बात सान्ती लाबैछै आ एक-दोसरके बिस्बासमे बलगर बनाइले मदत करैछै।
हम परमेस्वरके धन्यबाद दैचियै, कथिलेत हम तोरासबसे बेसि आन भसामे बोलैचियै।
जे आन भसामे बोलैछै, उ आपन आत्मिक बिरधी करैछै, महज जे अगमबानी बोलैछै, उ पुरे मन्डलीके आत्मिक बिरधी कराबैछै।
तु सबकोइ आन भसा बोल कैहके हम चाहैचियौ, महज ओकरसे बेसि तुसब अगमबानी बोल कैहके हम चाहैचियौ। कथिलेत आन भसामे बोलेसे त बरु अगमबानी बोलनाइ बरका चियै। आन भसाके अरथ खोइल दैबला लोक रहतै तब मातरे मन्डलीके बिस्बासीसबके आत्मिक तवरमे बलगर बनाइतै।
तैखातिर हे भाइ-भैयासब, यदि हम तोरासबके बिचमे आन भसामे बोल्बौ त तोरासबके कि फाइदा हेतौ? बरु परमेस्वरसे एल कोनो बातके परकास आ ग्यान-गुनके बात, अगमबानी या सिक्छा हम देबौ त तोरासबके फाइदा हेतौ।