11 यदि हम ककरो भसा नै बुझैचियै त, ओकरलेल हम परदेसी जखा हेबै आ उ हमर लेल परदेसी जखा हेतै।
ओतेका निबासी लोकसब एकदम हमरासबके दया देखेल्कै। ओहै बखत पानी पैररहल छेलै आ जार हेबे लाग्लै, तब उसब हमरासबके लेल आइग बाइरके तापैले बोल्याके स्वागत करल्कै।
ओतेका लोकसब पावलके हाथमे साँप ओझराल देखके एकदोसरसे कहेलाग्लै, “यि लोक पक्का हतियारा चियै, अइमे कोनो संखा नै छै। समुन्दरसे त बैचके चैलएलै महज नियाय निसाफसे दुर नै रहलै।”
कथिलेत सभ्य हेबे या असभ्य, सिक्छित हेबे या असिक्छित, सबके सुसमाचार सुनाबैले हमरा कर लागलछै।
सन्सारमे बहुतो भसासब छै आ हरेक भसाके अपने-आपके अरथ छै।
मोसाके बेबस्थामे परमपरभुके बोलल बात एहेन छै, “गैर-यहुदीके लोकसबके भसामे आ परदेसीसबके भसामे हम यि लोकसबसङे बोल्बै, तैयो उसब हमर बात नै सुन्तै।”
तैखातिर अते गिरिक या यहुदी, देहमे खतना करल आ नै करल, असभ्य, असिक्छित, दास या स्वतन्तर ककरो कोनो भेदभाव नै छै महज खिरिस्टे सब चिज चियै आ सबमे बास करैछै।