इस संसारा रे लोक सोच्चां ये भई अहें मसीह रे खातर मूर्ख ये, पर तुहें सोच्चां ये भई तुहें मसीह च बुद्धिमान ये; बौहत लोक सोच्चां ये भई अहें निर्बल ये, पर तुहें सोच्चां ये भई तुहें बलवान ये, तुहौं लोक आदर दें, पर सै अहांरा निरादर कराँ ये।
हुण हऊँ मूर्तियां रे सामणे बल़ि कित्तिरे माँसा रे बारे च दसणा चांह सै जे तुहें मेरते पुच्छया था : अहें जाणाँ ये भई अहां सब्बीं जो इसरा ज्ञान आ कने ज्ञान माहणुये जो घमण्डी बणां, पर प्यार अहांजो मजबूत कराँ।