40 हुनमन सव-सव आउर पचास-पचास करून धाड़ी-धाड़ी बसला।
40 वी सव-सव अर पचास-पचास कर ख कतार म बैठ गया
तेबे हुन हुनमन के हुकुम दिलो कि सपाय के कचा लाटा थाने धाड़ी-धाड़ी ले बसाऊन दिआस।
हुन-हुन पांच रोटी के आउर दुय मछरी के धरलो, आउर सरग चो बाटे दकुन भाती धन्यबाद करलो, आउर रोटी के छिड़ाऊन-छिड़ाऊन भाती चेलामन के देते गेलो कि हुनमन लोगमन के बाटोत, आउर हुन दुय मछरी के बले हुन सपाय ने बाटुन दिलो।