11 हुनमन ऐ सुनुन भाती कि हुन जीव आसे आउर हुन हुनके दकली से, बिश्वास नी करला।
11 उन न असो सुन ख कि उ जिन्दा हैं अर उन न ओ ख देखो हैं, भरोसा नी करो।
हुनमन हुनचो दरशन पाऊन भाती हुनके जुहार करला, मान्तर कोनी-कोनी के संका होली।
ऐ सुनुन भाती हुन हुनमन ले जबाप देऊन बल्लो, “हे अबिश्वासी लोगमन, मय केबे तक तुमचो संगे रयें दें? आउर केबे तक तुमचो सहें दें? हुनके मोचो लगे आना।”
मान्तर हुनमन चो गोठमन हुनमन के कहनी असन जान पड़ली, आउर हुनमन-हुनमन चो बिश्वास नी करला।
जिदलदाय हरिक चो मारे हुनमन के बिश्वास नी होली, आउर हुनमन अकचकित होते रवत, तेबे हुन हुनमन ले पूछलो, “काय ऐथा तुमचो लगे काई भात आसे?”
जिदलदाय दुसर चेलामन हुनचो ले बोलुक मुरयाला, “आमी परबु के दकलु से,” तेबे हुन हुनमन ले बल्लो, “जिदलदाय ले मय हुनचो हाथमन ने खिला चो छेदा नी दकें, आउर खिला चो छेदामन ने आपलो अंडकी नी डाले, आउर हुनचो पंजरा ने आपलो हाथ नी डाले, हुदलदाय ले मय बिश्वास नी करें दें।”