दिब्य दरस 8:5 - गढवली नयो नियम5 तब स्वर्गदूत ल यु तैं वेदी का मथि बट्टी जल्यां अंगारों बट्टी भोरि दींनि, अर धरती पर डाली दींनि, अर बिजलियां अर गिडगिडांण की आवाज अर भूकम्प हूंण लगि गै। အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali5 तब स्वर्गदूत न धूपदेणु वळु कटोरा ले अर वेमा वेदी की आग भोरी, अर धरती की तरफा ढोळि दिनी। तब बादळों मा गगड़ट की तेज आवाज औण लगि गै, अर बिजली चमकी, अर भ्वींचळु ऐ। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |