दिब्य दरस 4:8 - गढवली नयो नियम8 अर चरी ज्यून्दा प्राणियों का छः-छः फांकुड छा, ऊं पर सभि जगह आँखा छा, इख तक कि ऊंका फंकुड़ों का मूड़ी भि; अर उ रात-दिन बगैर आराम करयां बुल्णा रौंदा छा, “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, उ व ही पिता परमेश्वर च जु बगत की शुरुआत बट्टी लेकर अब तक अर कभी नि बदलद जु आंण वलो च।” အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali8 अर चरी पराणों का छह-छह फाँकुड़ छा, अर ऊंका चौतरफि अर ऊंका भितर भि आंखा ही आंखा छा। अर वु बिन रुक्यां दिन-रात इन बुल्दिन कि, “पवित्र, पवित्र, पवित्र, सर्वसक्तिमान प्रभु परमेस्वर, जु छौ जु आज भि च अर जु औण वळु च।” အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
फिलदिलफिया शहर की मण्डलि का दूत तैं लिख; मि ही उ छो जु पवित्र अर सचै छो, जै मा उ चाबी च जु राजा दाऊद की च। जब मि वीं चाबी तैं लींदु छो अर एक द्वार तैं खुलद त कुई भि वे तैं बंद नि कैर सकद, अर जब मि चाबी लींदु अर एक द्वार बंद कैरी दींदु त कुई भि वे तैं खोल नि सकद, जैका खुल्यां तैं कुई बन्द नि कैर सकद अर बन्द करयां तैं कुई खोल नि सकद, उ यु बुल्द,