दिब्य दरस 2:23 - गढवली नयो नियम23 मि ऊं लुखुं तैं मारि दयुलु जु वींकी शिक्षाओं कु अनुसरण करदींनि, अर सैरी मण्डलि जांणि जाली कि मि ही छो जु हर एक आदिम का विचारों अर उद्देश्यों की अजमैश करदु। मि तुम मा बट्टी हर एक तैं ऊंका करयां कामों का अनुसार ईनाम दयुलु। အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali23 मि वींका बच्चों तैं महामारी भेजि के मरलु, ज्यां से कि बिस्वासी समुदाय का सब लोग जाणि जाला कि मि उई छौं जु कि मनखियों का मन अर दिल की बातों तैं जणदु च, अर मि हरेक तैं वेका कामों का हिसाब से द्यूलु। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर मिल मुरयां लुखुं तैं वे सिंहासन का संमणी खड़ा दिखिनि, मतलब कि जु जरूरी च। उ लोग जु समुद्र मा डूबी कै मोरि गैनी, अर कब्रों म का सभि मुरयां लोग, अर उ सभि लोग जु मोरि के अधोलोक मा छा, उ सभि वे सिंहासन का संमणी खड़ा हवीनि। उ किताब (चाम्रपत्र) खुलै गै जै मा ऊं लुखुं को नौं लिख्यां छा जै मा उ जीवन छो जैको कुई अंत नि च। उ किताब भि खुलै गै जै मा लुखुं ल जु-जु कैरी छो उ लिखै गै छो, अर हर एक ल जु कुछ कैरी छो वेका अनुसार ऊंको जांच के न्याय किये गै, जु वीं किताब मा लिख्युं छो।
तब मिल एक फीका पुडयूं हरयां रंग को घोड़ा देखि; अर वेका सवार को नौं मौत छो; अर अधोलोक वेका पिछने-पिछने चलणु छो अर ऊंल धरती पर रौंण वला हर एक चार लुखुं मा बट्टी एक तैं मरणों को अधिकार मिल्युं छो, अर ऊंल, लुखुं तैं तलवार से, भूख से अर बुरी-बुरी बिमारियों से अर ऊंल ऊं तैं जंगली जानवरों बट्टी भि मरवै डाली।