दिब्य दरस 19:5 - गढवली नयो नियम5 अर फिर मिल कै तैं बुल्द सूंणि, अर इन लगि जन य आवाज पिता परमेश्वर का सिंहासन बट्टी ऐ हो। वेल बोलि, “हे हमारा पिता परमेश्वर का सेवकों तुम जु वेका नौं को सम्मान करदा, चाहे बड़ा हो या छुटा हो। परमेश्वर की स्तुति कैरा!” အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali5 फिर राजगद्दी बटि एक आवाज ऐ, “हे हमरा परमेस्वर का सेवकों, तुम जु की वे पर अपणी सरदा बणै के रखद्यां, अब चै तुम खास छाँ या साधारण, तुम सब परमेस्वर की तारीफ कैरा।” အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर मिल मुरयां लुखुं तैं वे सिंहासन का संमणी खड़ा दिखिनि, मतलब कि जु जरूरी च। उ लोग जु समुद्र मा डूबी कै मोरि गैनी, अर कब्रों म का सभि मुरयां लोग, अर उ सभि लोग जु मोरि के अधोलोक मा छा, उ सभि वे सिंहासन का संमणी खड़ा हवीनि। उ किताब (चाम्रपत्र) खुलै गै जै मा ऊं लुखुं को नौं लिख्यां छा जै मा उ जीवन छो जैको कुई अंत नि च। उ किताब भि खुलै गै जै मा लुखुं ल जु-जु कैरी छो उ लिखै गै छो, अर हर एक ल जु कुछ कैरी छो वेका अनुसार ऊंको जांच के न्याय किये गै, जु वीं किताब मा लिख्युं छो।