दिब्य दरस 13:2 - गढवली नयो नियम2 जु जानवर मिल देखि, उ चीता का जन छो; अर वेका खुटा रिख का जन छा, अर मुक सिंह का जन छो। अर वे अजगर ल यु जानवर तैं अपड़ी सामर्थ दे दींनि अर वे तैं धरती पर राज्य कनु को अधिकार दिए गै। အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali2 मिन देखि कि उ एक चीता की तरौं छौ, मगर वेका खुटा भालु की तरौं छा, अर वेको मुख शेर की तरौं छौ। अर खुंखार रागस न ये दैंत तैं अपणी सामर्थ, राजगद्दी अर अपणु पूरु अधिकार दे दिनी। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर उ दुसरो जानवर अर वेका दगड़ी उ झूठो संदेश दींण वलो जु अफ तैं पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो बुल्द पकड़ै गै, वेल जानवर का तरपां बट्टी झूठा चमत्कार दिखै अर ऊं सभि लुखुं तैं भरमै, जौनु जानवर की छाप अपड़ा कपाल पर लगै छै अर जु वेकी मूर्ति की आराधना करदा छा, यु द्वी ज्यूंदा ही वीं आग की झील मा, जु गन्धक ल जल्दींनि डलै गैनी।
मि जंणदु छो कि तेरु शहर शैतान का वश मा च, पर यांका बावजूद तिल मि पर अपड़ा विश्वास तैं कसी के पकड़ी के रखि अर तिल मेरी शिक्षाओं तैं नि छोड़ी, इख तक कि तब भि न जब भौत बगत पैली अन्तिपास की हत्या किये गै छै। उ मेरा वचनों का प्रचार कन मा विश्वासयोग्य छो, इलै वे तैं तेरा शहर मा मरै गै जु शैतान का वश मा च।
वेल वे अजगर तैं पकड़ी दींनि जु उखी छो जु भौत बगत पैली एक गुरो का रूप मा प्रगट हवे छो, जै तैं शैतान भि बुल्दींनि। वेल वे तैं संगलों ल बंधि अर अथाह कुण्ड मा फेंक दींनि। यांका बाद वेल ऊं तैं बंद कैर दींनि अर भितर जांणवला द्वार पर मोहर लगै दींनि कि एक हजार साल पूरा हूंण तक वेमा जाति-जाति का लुखुं तैं धोखा दींण कु कुई ढंग नि हो। जब उ पूरो हवे जालो त वे तैं दुबरा आजाद किये जालो, पर भस थोड़ा देर कु।