दिब्य दरस 10:10 - गढवली नयो नियम10 मि व छुटी किताब वे स्वर्गदूत का हथ बट्टी ले के खै दींनि। व मेरा गिचा मा शैत जन मिठी त लगि, पर जब मिल वे तैं खै दींनि, त मेरू पुटगो कड़ो हवे गै। အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali10 अर मिन स्वर्गदूत का हाथ बटि वु छुटो दस्तावेज लेके खै दिनी अर वा मेरा गिच्चा मा शहद की तरौं मिठ्ठु लगि, पर जब मिन खै दिनी त मेरु पुटगु खट्टु ह्वे गै। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर मिल स्वर्गदूत मा जै के बोलि, “य छुटी किताब मि तैं दे” अर वेल मि बट्टी बोलि, “ले, ईं तैं खा ले; यांको स्वाद शैत का जन मिठो, पर बाद मा यांको कड़वाहट बट्टी तेरु पुटगो दुखलो। इलै मिल व छुटी किताब ले लींनि जु स्वर्गदूत ल पकड़ी छै अर वीं तैं खै दींनि। अर सच मा यांको स्वाद शैत का जन मिठो छो, पर जब मिल यु तैं घूली दींनि, त मेरू पुटगो दुखण लगि गै।”