37 क्य यु हवे सकद की मनिख अनन्त जीवन पांणु कु कुछ दे साको उ अपड़ा आत्मा का बदला क्य दे सकद?
37 किलैकि अगर कुई मनखि सदनि का जीवन तैं ख्वे द्यो, त उ वेतैं वापिस नि मिली सकदु?
ऊं कु कुई कीमत नि च जु मनिख सैरा दुनिया तैं पै ल्यो अर अपड़ा प्राण अर आत्मा तैं ख्वे द्यो।
जु कुई यु व्यभिचारी अर पापी जाति का बीच मा मि अर मेरी बातों सै शर्मालो मि मनिख कु नौंनो भि जब उ पवित्र स्वर्गदूत का दगड़ा मा अपड़ा बुबा बड़ी महिमा का प्रकाश मा आलो त तब उ भि ऊंको इन्कार कैरी दयालो।”