42 अर सभि खै के तृप्त हवे गैनी
42 अर सब लोग खै के छक ह्वे गैनी।
यीशु ल ऊं पाँच रुट्टियुं तैं अर द्वी माछों तैं अपड़ा हथ मा लींनि अर स्वर्ग जनै देखि के परमेश्वर कु धन्यवाद कैरी अर रुट्टियुं तैं टुकड़ों मा तोड़ी-तोड़ी के चेलों तैं दींद गै कि उ लुखुं तैं परोसुनु अर उ द्वी माछा भि ऊं सभियूं मा बांटि दींनि।
अर जब ऊं सभियूं ल खांणु खएली छो तब चेलों ल रुठी अर माछों का बारह भुरयां ठुपरा उठैनि।
अर सभि खै के तृप्त हवे गैनी त चेलों ल बचयां टुकड़ों से बारह भुरयां ठुपरा भरिके उठैनि।
जब सभि खै के छक हवे गैनी त यीशु न अपड़ा चेलों म बोलि, बचयां टुकड़ों तैं बटोरी ल्या कि कुछ ढुलै नि जौं।