8 अर किसानों ल वे तैं खत्म कैरी दींनि अर लांश तैं अंगूर का बगिचा का भैर डोल दींनि।
8 अर ऊंन वेतैं पकड़ी के जान से मारी दिनी, अर अंगूरों का बगिचा का भैर ढोळि दिनी।
“एक और मिसाल सूंणा एक घौर कु स्वामि छो जैल अंगूर कु बगिचा लगै वेका चारों तरपां बाड़ बंधि वेमा रस को कुंड भि खैणि अर गुम्मट बणै अर किसानों तैं वेको ठेका दे के एक लम्बी यात्रा मा परदेश चलि गै।”
अर किसानों ल वे तैं पकड़ी अर अंगूर का बगिचा बट्टी भैर निकाली के मारि दींनि।
पर जब किसानों ल देखि की अब स्वामि को नौंनो ए त उ किसानों ल आपस मा बोलि, यु त वारिस च आवा यु तैं मारि दींदां अर तब सभि अंगूरों कु बगीचा हमारो हवे जालो।
इलै अब अंगूर का बगिचा कु स्वामि क्य करुलु? उ ऐ के ऊं किसानों तैं जान से मारि दयालो अर अंगूरों का बगिचा तैं दुसरा किरायादारों तैं दे दयालो।
अर किसानों ल वे तैं खत्म कैरी दींनि अर लांश तैं अंगूर का बगिचा का भैर डोल दींनि। इलै जब अंगूरों का बगिचा कु स्वामि आलो त ऊं किसानों दगड़ी क्य करलो?