धन्य च उ आदिम, जु अजमैश का बगत भि मजबूत रौंदो; किलैकि जब उ अजमैश तैं पार कैरी दींदो तब पिता परमेश्वर वे तैं अनन्त जीवन को मुकुट दयालो, ज्यांको वादा पिता परमेश्वर ल अपड़ा प्रेम रखण वलो दगड़ी करयूं च।
अर पिता परमेश्वर ऊंकी आँखों बट्टी सभि आँसूओं तैं फूंजी दयालो; अर कुई भि आदिम कभी भि दुःख महसूस नि करलो या रूलो न, किलैकि पुरणी दुनिया अब अस्तित्व मा नि च।”