मत्ती 5:10 - गढवली नयो नियम10 “धन्य छिन उ जु धर्मी जीवन जींण का कारण से सतै जंदींनि, किलैकि स्वर्ग को राज्य ऊंको ही च।” အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali10 “धन्य छिन ऊ, जौं तैं धरमी जीवन जीण का खातिर सतयै जान्दु, किलैकि परमेस्वर को राज ऊंको ही च। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
ऊं दुखों बट्टी नि डैर जु त्वे तैं मिललो। शैतान लुखुं बट्टी तुम मा से कुछ तैं गिरफ्तार करालो अर तुम तैं कैद मा डलै जालो कि उ तुम्हरी अजमैश कैर साक। तुम दस दिनों तक बड़ी मुसिबतों कु अनुभव करली। पर मि पर विश्वास कन कभी नि छोड़ी, चाहे मुरण भि पोडो, किलैकि मि त्वे तैं तेरु जीत का प्रतिफल का रूप मा अनन्त जीवन दयुलु।