9 जब उ ऐनी जौं तैं लगभग शाम पाँच बजि त ऊं तैं मजदूरों दिन की मजदूरी तैं भुगतान करलो।
9 अर जब वु मजदूर ऐनी जु कि पांच बजी का लगभग ऐ छा, त ऊंतैं एक दिन की पूरि ध्याड़ि मिली।
जु मजदूर सुबेर-सुबेर ऐ छा ऊंल यु समझी कि हम तैं जादा मिललो पर ऊं तैं भि पूरा दिन की मजदूरी मिली।
अर वेल दिन की मजदूरी तैं भुगतान पर ठैरयूं ऊं तैं अपड़ा अंगूर का बगिचा मा भेजि।
रुमुक बगत अंगूर का बगिचा का स्वामि ल अपड़ा भण्डारी कु बोलि, मजदूरों तैं बुलै के जु सबसे आखिर मा काम कनु कु अयां छा ऊं बट्टी लेकर पैली तक काम पर ल्यां मजदूरों तैं मजदुरी दे।