जु झिबलांण मा बुतै गैनी उ यु छिनी जौं ल वचन तैं सूंणि, पर धरती पर जीवन कि चिंता अर धन दौलत को धोखा ज्यां बट्टी उ प्रेम करदींनि अर कई चीजों तैं पाणै की चाह ऊंमा समैके वचन तैं दबै दींदु अर वे तैं कुछ फैदा नि हुंदा।
पर कुछ बीज अच्छी भूमि मा पोड़िन अर उगि के सौ गुणा फल लै यु बोलि के वेल ऊंची आवाज मा बोलि, “जु कुई ईं बात तैं सूंणि सकदु जु मि बुल्ण छौं उ यु तैं समझ भि ल्यो।”