पौड़ पर का उ छिन कि जब सुणदींनि त खुशी से वचन तैं स्वीकार कैरी दींदिनि पर अफ मा जौड़ा नि रखणा वजह से जरा देर तक विश्वास रखदींनि अर अजमैश औंदि त तब उ तुरंत पिछनै हवे जंदींनि।
जन कि परमेश्वर का वचन मा लिख्युं च, “जु तुम आज पिता परमेश्वर की आवाज तैं सूंणा, त अपड़ा मनों तैं ढीट नि बणा” जन की तुम्हरा पुरणों ल कैरी छो, अर जैल जंगल मा अजमैश का बगत पिता परमेश्वर कु विरोध कैरी