39 तब यु सूंणि के मूसा की व्यवस्था तैं सिखांण वलो मा बट्टी कुछों ल बोलि, “हे गुरु तुम ल ठिक बोलि।”
39 अर यू सुणी के शास्त्रियों मा बटि कुछ लोगु न बोलि, “गुरुजी, तुमुन ठिक बोलि।”
परमेश्वर मुरयां मनिख्युं कु न बल्कि ज्यूंदों कु परमेश्वर च, वेको सब ज्यूंदों छिन।”
अर तब कै तैं भि ऊंमा कुछ सवालों तैं पुछणो कु हिम्मत नि हवे।
तब भौत बड़ो घपरौल हवे गै अर मूसा की व्यवस्था तैं सिखांण वलो का कुछ शिक्षकों ल, जु फरीसी छा, उठि के यु बोलि के बहस कन लगि गैनी, “हम यु आदिम मा कुई भि बुरै नि पांणा छा; अर दुष्टात्मा या स्वर्गदूत ल वे बट्टी बात कैरी त फिर क्य?”