36 द्वी आदिम पुंगड़ा मा होला त एक लिये जालो अर हैंको छोड़े जालो।
36 [दुई मनखि पुंगड़ा मा होला, अर ऊंमा बटि एक उठे दिये जालु अर दुसरा तैं छोड़ दिये जालु।”]
वे बगत मा द्वी माबुत पुंगड़ा मा होला ऊंमा बट्टी एक लिये जालो अर हैंको छुड़े जालो।
यु सूंणि कै ऊंल वेमा पूछि, “हे प्रभु यु कख हूंण? वेल ऊंमा बोलि, सभि तैं पता चलि जालि की इन कख हूंणु जन कि सभि तैं पता च जख शव हूंदु, उखि गरुड़ कठ्ठा हवाला।”