खांणु कु मेहनत नि कैरा पर वे खांणु कु जु अनन्त जीवन तक ठैरद मि मनिख कु नौंनो तुम तैं यु खांणु दयुलु किलैकि पिता परमेश्वर ल मि तैं इन कनु कु अधिकार दियुं च।
किलैकि शारीरिक कशरत ल त देह तैं फैदा हूंद, पर भक्ति सभि बातों कु फैदामंद हूंदी, किलैकि तुम वे जीवन तैं पैला, किलैकि यु एक आदिम तैं ईनाम दींण को वादा करद जब उ ईं धरती पर जीवित रौदींनि अर मुरणा का बाद भि।
अपड़ा जीवन तैं धन का लालच बट्टी दूर रखा, अर जु तुम म च, वे पर ही संतोष किया कैरा; किलैकि पिता परमेश्वर ल अफ ही बोलि, “मि त्वे तैं कभी भि नि छुडलु, अर न कभी भि त्वे तैं त्यगुलु।”