अर वेल ऊं तैं आज्ञा दींनि अर दुष्टात्मा निकली के भैर ऐ गै अर सुंगरु मा बैठी गै अर उ झुण्ड जु कुई द्वी हजार का लगभग रै होलो उ डांडा पर बट्टी झपटी के झील मा पड़ि गै अर डुबि के मोरि गै।
“हे प्रभु, सभि जातियों का लुखुं का द्वारा तेरु आदर किये जौं, अर उ सब तेरु नौं को सम्मान कैरा, किलैकि भस तू ही पवित्र परमेश्वर छै, हर एक राज्य का सभि लोग तैं मा औंदींनि, अर उ तेरी आराधना करदींनि, किलैकि तेरु धर्म का काम सभियूं तैं अच्छा ढंग से मालूम छिनी।”
अर चरी ज्यून्दा प्राणियों का छः-छः फांकुड छा, ऊं पर सभि जगह आँखा छा, इख तक कि ऊंका फंकुड़ों का मूड़ी भि; अर उ रात-दिन बगैर आराम करयां बुल्णा रौंदा छा, “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, उ व ही पिता परमेश्वर च जु बगत की शुरुआत बट्टी लेकर अब तक अर कभी नि बदलद जु आंण वलो च।”