46 सिपैयूं ल जवाब दींनि कै मनिख ल कभि इन बात नि बोलि?
46 अर मन्दिर का सिपयों न जबाब देई कि, “जन बातों तैं उ मनखि बोन्नु छौ, उन्दरि बात त कैन कभि भि नि बुलिनी।”
अर सभियूं ल वेकी बढ़ै कैरी अर जु दया कि बात वेका गिच्चा बट्टी निकली छै वां बट्टी हकदक हवे के बुल्ण लगि गैनी “क्य यु यूसुफ को नौंनो नि च?”
उ यीशु का वेका उपदेश से चकित हवेनि किलैकि वेको वचन अधिकार का दगड़ा मा छो।
पर देखा उ त सभियूं का संमणी बात करदु अर कुई वेकु कुछ नि बुल्द क्य सम्भव च की ऊं सच-सच जांणेली छो कि यु ही मसीह च?
फरीसियों ल लुखुं तैं यीशु का बारा मा ईं बात तैं सुरुक-सुरुक करद सूंणि अर प्रधान याजक अर फरीसियों ल यीशु तैं पकड़णु कु मन्दिर का रखवला भिजिनि।