किलैकि पिता परमेश्वर का वचन मा लिख्युं च, “हे बांझ जनन, तु जींल कभी भि बच्चा तैं जन्म नि दींनि, तिल बच्चा का दर्द की पिड़ा तैं अनुभव नि कैरी; आनन्द बट्टी पुकार अर ऊंची आवाज बट्टी चिल्लो, किलैकि उ जनन जैका आदिम का वीं तैं छोड़ द्ये की सन्तान, वीं जनन की सन्तान, जु अपड़ा आदिम का दगड़ी रौंदी, वीं जनन की सन्तान बट्टी जादा च।”