“पर जब उ सेवक भैर निकली त वे दगड़िया सेवकों मा बट्टी एक वे तैं मिली जु वेको सौ दिन की मजदूरी को कर्जदार छो वेल वे तैं पकड़ी के वेको गौला घोंटी अर बोलि जु कुछ त्वे पर कर्ज च भोरि दे।”
अपड़ी संपत्ति बचै के दान कैरी दे अर अफ कु इन बटुवा बंणौ, जु पुराणो नि हूंद, पर भलै कैरी के स्वर्ग मा अफ कु धन कठ्ठा कैरा जु घटदो नि च, जैका संमणी चोर नि औंदु, अर कीड़ो नि बिगड़दो।
यीशु ल वे तैं देखि, अर वेकु बोलि, “एक काम च जु त्वे तैं अभि भि कन जरूरी च जु कुछ धन सम्पति तेरु च वे तैं बेचि के गरीबों तैं बांटि दे, अर त्वे तैं स्वर्ग का राज्य मा धन मिललो अर मेरू चेला बण के मेरा पिछनैं हवे जा।”
वेल या बात इलै नि बोलि छै कि वे तैं गरीबों कि चिंता छै पर इलै की उ चोर छो अर वेमा ऊं सभियूं कि रुप्यों कि थैलि रांदि छै वीं थैलि मा जु कुछ भि डलेंदु छो उ निकाली दींदु छो।
फिलिप्पुस ल यीशु तैं जवाब दे, तीन रुट्टियुं की कीमत द्वी सौ दिन की मजदूरी का बराबर होली, यु भि यूं कु पूरी नि होलि, पर ऊंमा बट्टी हरेक तैं जर जरा मिली जौ।