कि तू ऊंकी आंखा खोल, कि उ अंधेरा बट्टी उज्यला का तरपां, अर शैतान का अधिकार बट्टी पिता परमेश्वर की तरपां फिर; त पिता परमेश्वर ऊंका पापों तैं माफ करलो, अर ऊं लुखुं दगड़ी विरासत मिलो, जु मि पर विश्वास कन से पवित्र किये गैनी’
पर उ मनिख जैल परमेश्वर की आत्मा तैं नि पै, उ परमेश्वर की आत्मा की बातों तैं स्वीकार नि करदु, किलैकि उ वेकी नजर मा मूर्खता की बात च, किलैकि एक आदिम अपड़ी कीमत तभि जांणि सकद जब वेमा पवित्र आत्मा रौंदी।