तुम्हरो बड़ो मोन कन ठिक नि च मण्डलि पूरा ढंग पर अनैतिकता तैं लै के दुःखी अर वे बट्टी दूर हूंणा का बजाय वे पर बड़ो मोन कनी च; जन जरा सी खमीर पूरा गूंदयां आटा तैं खमीर कैरी दींद उन ही, जु एक आदिम तैं पाप कने की मंजूरी मिलो, त जल्द ही सभि लोग भि उन ही कनु कु प्रभावित होला।
किलैकि जु कुछ भि दुनिया मा च, मतलब देह की वासना, अर आंखों की अभिलाषा, अर रुप्यों कु घमण्ड, उ पिता परमेश्वर की तरपां बट्टी नि च, पर दुनिया की ही तरपां बट्टी च।
तू वीं तैं निश्चय ही जादा पिड़ा अर दुःख दिलैली जु वीं का भोगविलास भुरयां जीवन अर वीं का अपड़ा आप का प्रति घमण्ड का बराबर च। वीं ल अपड़ा आप बट्टी बोलि, “मि एक राणी का जन छो अर मि लुखुं पर राज्य करुलु। मि एक विधवा नि छो अर मि दुःख को अनुभव नि करुलु।”