32 तब सिपैयूं ल बचाव कि किश्ती को जूड़ो काटि दींनि, अर किश्ती पांणी मा चुटै दींनि।
32 इलै सिपयों न नाव का ज्यूडों तैं काटी के पाणि मा छोड़ि दिनी।
मालिक ल वे अधर्मी भंडारी कि पुलबैं कैरी कै कि वेल बड़ी चकड़ैति से काम यु सच च की यु जन यु दुनिया का लोग अपड़ा बगत का लुखुं का दगड़ी बरतौ कन मा उज्यला का लुखुं बट्टी जादा चालाक च।
तब वेल जूडूं को कोड़ा बणै के सब ढिबरों अर बल्दों तैं यरूशलेम शहर का मन्दिर बट्टी निकाली दींनि अर सराफों का पैसा छिलारी दींनि अर पिड़ों तैं फरकै दींनि
तब पौलुस ल सुबदार अर सिपैयूं कु बोलि, “जु यु लोग जहाज मा नि राला त तुम नि बचि सकद्यां।”
जब सुबेर हूंण वली छै तब पौलुस ल सभियूं तैं खांणु-खांण कि सलाह दींनि अर बोलि, “आज चौदह दिन हवे गैनी अर तुम फिकर का कारण तुम ल कुछ नि खै।