13 पर हौरु ल ऊं की मजाक बणै के बोलि, “यु त दाखमधु का नशा मा छिन।”
13 पर दुसरा लोगु न बिस्वासी लोगु को मजाक बणै के बोलि, “अरे यू त नयी दारु पी के टूंन होयां छिन।”
तुम मा बट्टी कुछ लोग इन सुचणा छिनी कि हम लोग नशा मा छा पर हम नि छा किलैकि अभि त सुबेर का नौं बजि च।”
त जु मण्डलि एक ही जगा कठ्ठा हो, अर सभि का सभि अन्य भाषा बोला, अर सीधा लोग या अविश्वासी लोग भितर ए जा त उ जरूर सुचला की तुम पागल छा।
अर दाखमधु तैं पी कै धूत नि बंणयां रावा, किलैकि यु लुखुं कु रुखा, बेकाबू ढंग बट्टी बरतौ कनु कु कारण बणद, बल्कि पवित्र आत्मा तैं तुम तैं काबू मा कन द्यां।