1 कुरिन्थि 3:3 - गढवली नयो नियम3 किलैकि तुम अब भि अपड़ा पापी स्वभाव का अनुसार ही अपड़ो जीवन जींणा छा; इलै जब तुम मा जलन अर लड़ै-झगड़ा हूंदींनि, त क्य यु साबित नि हूंद कि तुम अपड़ा पापी स्वभाव का कब्जा मा छा? क्य तुम ईं दुनिया का लुखुं का जन ही जीवन नि जींणा छा? အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali3 किलैकि तुम अभि भि दुनियां की बातों का मुताबिक ही चलद्यां। अर या बात मि इलै बोन्नु छौं, किलैकि तुम लोग एक-दुसरा तैं देखि के खार खन्द्यां अर तुमरा बीच मा झगड़ा भि होनदिन। त अब तुम मितैं इन बता क्या फिर तुम दुनियां का लोगु का जन नि छाँ? अरे, तुम त ऊंका जन ही चाल चलणा छाँ। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |