1 कुरिन्थि 13:1 - गढवली नयो नियम1 मि भले ही मनिख्युं अर स्वर्गदूतों की भाषाओं मा बोलु; पर जु मिल लुखुं बट्टी प्रेम नि कैरी, त ऊं भाषाओं तैं बुल्ण मि कु ठनठनांदु पीतल, अर झंझनांद ढपली जन च। အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali1 अगर मितैं मनखियों अर स्वर्गदूतों की भाषा बुलण औन्दी हो, पर मि दुसरो से प्यार नि कैरुं, त क्या फैदा च फिर? तब मि वे पितळा भाँडा जन छौं जु ठन-ठन बजदु, अर वीं डफ का जन छौं ज्वा की डम-डम बजदी। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
मि चांदु छों, कि तुम सब अन्य भाषाओं मा बात कैरा, पर ज्यादातर यु चांदु छों, कि भविष्यवाणी कैरा; किलैकि अन्य भाषा बुल्ण वलो मनिख ईं बातों कु अनुवाद नि करदु कि उ मण्डलि मा विश्वासियों का विश्वास तैं मजबूत कन कु क्य बुल्दो, त जु मनिख भविष्यवाणी करदो वे अन्य भाषा बुल्ण वला बट्टी, जु अनुवाद करयां बगैर अन्य भाषा मा बात करद, बढ़िया च किलैकि अनुवाद किये जांण पर ही मण्डलि की उन्नति सम्भव हवे सकद।