20 इलै देह का कई अंग छिनी, फिर भि एक त एक ही च।
20 अर अलग-अलग अंग होण का बाद भि सरील एक ही च।
वे जन ही, हम भि जु मसीह मा विश्वासी छा, हम सभि मसीह का देह का अंग छा, अर हम सभि एक-दुसरा बट्टी जुड़यां छा।
किलैकि जन कै मनिख की देह एक च अर वेका अंग भौत छिनी, भौत हूंण पर भि सभि मिल कै एक ही देह च उन के ही मसीह भि अर वे पर विश्वास कन वला विश्वासी भि एक ही छिनी।
इलै कि हमारा देह मा एक ही अंग न, बल्कि भौत सा छिनी।
जु एक ही अंग हो, त कुई देह नि होली?
आंख हथ बट्टी नि बोलि सकदी, “मि तैं तेरी जरूरत नि च” अर न मुंड खुट्टा बट्टी बोलि सकदु, “मि तैं तेरी जरूरत नि च।”