1 कुरिन्थि 10:28 - गढवली नयो नियम28-29 पर जु कुई तुम बट्टी बुल्द, कि “मूर्तियों तैं बलि कु खांणु चढै गै छो” त वे तैं नि खा, अपड़ी अंतरात्मा का कारण न, पर वे आदिम का विवेक का कारण जैल तुम तैं बतै छो; किलैकि मेरी आजादी तैं कै हैंको आदिम का विवेक का द्वारा न्याय नि किये जांण चयणु च। အခန်းကိုကြည့်ပါ။Garhwali28-29 अर अगर कुई आदिम त्वेकू इन बोलो कि, “यू खाणुक त मूरत का अगनै भेंट मा चड़ये गै छौ।” त त्वेतै वे बुलण वळा मनखि की वजै से नि खाण चयेणु। पर अगर जु तू खाणि छैई त कखि इन नि हो कि उ त्वेतै देखि के अपणा मन मा इन सोचो की यू त द्यबतों तैं पूरु आदर-सम्मान देणु च। इलै हे मेरा दगड़्यों, मेरी आजादी दुसरा लोगु का द्वारा किलै परखै जौ। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
पर हमारा कुछ विश्वासी अभि तक भि नि जणदींनि कि मूर्तियों मा कुई शक्ति नि च, किलैकि उ पैली ऊं मूर्तियों की पूजा करदा छा, अब जब उ ऊं मूर्तियों तैं चढ़यूं बलि कु खांणु खंदींनि, उ गलत सुचदींनि कि उ अभि भि ऊं मूर्तियों की पूजा मा शामिल छिनी, अर उ यूं सोचि के परेशान हुन्दींनि कि जु उ मूर्तियों तैं चढ़यूं खांणु खंदींनि त ऊंल पाप कैरेले।